मंजिल अब पानी है
जोशीली हवाएँ , टकराई है दिल से हिम्मत की पुकार ,आइ है दिल से खुद पर यकीन , जागा है दिल से सब का भरोसा , पाना है दिल से मुरझाई ख़्वाहीशो पर , उम्मीदों की ओस लानी है हौंसलो के सूरज से, डर की छाया हटानी है मेहनत से मिली खुशबु , दिलों तक पहुचानी है कामयाबी के डंको की धुन , सबको सुनानी है ईन पंकित्यों की बारात से , एक हसीं मुस्कान जगानी है तुम्हारी मेहनत की डोली में , जीत की दुल्हन लानी है